Wednesday, December 9, 2009

जब तुम नही होते हो

चाय की चुस्कियिआन कहीं खू जाती हैं
जब तुम नही होते हो ।
ज़िन्दगी की रंगीनियाँ फीकी पड़ जाती हैं
जब तुम नही होते हो !
ये फूल , ये कलियाँ मुरझा जाती हैं
जब तुम नही होते हो !
शाम का धुंधलका हो जाता है और भी गहरा
जब तुम नही होते हो !
सुबह की ताजगी भी दिल को उदास कर जाती है
जब तुम नही होते हो !
सर्दियों की धुप भी लगती है चटक
जब तुम नही होते हो !
तुम्हारी यादें सहारा तो बन जाती हैं
लेकिन हर बार ये रुला जाती हैं
जब तुम नही होते हो !
अनु।

जब से तुम गए

जब से तुम गए हो
घर का मुख्य द्वार
अकेला, उदास खडा कर रहा है तुम्हारा इन्तजार
घर की सीडियां
तुम्हारे कदमो को चूमने के लिए है बेकरार
घर का वो कमरा
जो तुम्हें है सब से प्यारा वो भी
सूनेपन से हो गया है बेज़ार
कमरे की दीवारें
तुम्हारे नही होने का जीकर करती है बार बार
यह दीवारें, यह कमरा, यह घर
सब है बेजान लेकिन
जानती हूँ मैं इनको भी है तुमसे प्यार
तभी तो
तुम्हारे जाते ही हो जाते हैं उदास , बेहाल, वीरान
और करते हैं इन्तजार तुम्हारा
तुम्हारे जाने से तुम्हारे लौट आने तक!
जब से तुम गए हो..........
अनु।

Thursday, October 29, 2009

भीगी सी आंखों में भीगा हुआ दर्द है तुम्हारा!
चाहा था ज़िन्दगी में बस इक साथ ही तो तुम्हारा!!
रुकी थी मोड़ पर इन्तजार किया था मैंने तुम्हारा!
लेकिन ठहराव शायद स्व्भाव नही था तुम्हारा!!
अनु

Wednesday, October 28, 2009

सितारे

कवि कहते हैं जिसने भी मोहब्बत की वो आसमान के सितारे हुए
तो मेरे विचार से

मोहब्बत कर आसमान के सितारे हुए
तभी तो ज़मीन पर रहने वालों से दूर हुए
देखने पर तो लगे साथ चलते हुए
लेकिन असल में अपना अलग ही मुकाम लिए हुए
यू हम एक दूसरे के साथ हुए...

अनु

Friday, March 13, 2009

प्यार

मैंने तुम्हें अपना सर्वस्व दिया
इतना प्यार किया कि ख़ुद को
भुला दिया
हर रिश्ते में बस तुम्हें ही खुदा बना लिया
और तुम ने
मुझे कहीं अपनी बर्बादी का तो कभी
अपने की मौत का जिम्मेवार ठहरा दिया
बहुत ही आसानी से कई दिन पहले अपना रास्ता अलग कर लिया
फिर अकेले चलते चलते थक गए तुम तो
तुम्हारी तन्हाई का इल्जाम भी मुझे दे दिया
मेरी चाहतों का असर अब तुम्हें दिखने लगा कम्
तो उस का भी दोषी मुझे ही बना दिया
जो कभी ख्वाब में भी देखा नही
उस गुनाह का भागीदार मुझे बना दिया
लफ्जों ने तुम्हारे इतने जखम दिए कि
इक इंसान को पत्थर बना दिया!!!!!!!
anu.

Monday, February 9, 2009

हे भगवन !

बहुत प्यारा वरदान दिया है
मुझे हे भगवन !
जो हर क्षण , हर पल आप मेरे पास हो !
खुशियिओं में , गम में
अश्रुयों के समंदर में
मंजिल के रास्तों में
रास्तो की मुश्किल में
हर कहीं बस आप ही आप हो भगवन !
अब तो मेरे सहज प्रश्नों के उत्तर आप हो
हर पल के सखा मेरे आप हो !
हे भगवन !
prत्यक्ष न सही अप्रताय्काश रूप में मेरे साथ आप हो !
आप कि दिव्य ज्योति ही
मेरी दृष्टि है !
मेरा आँचल बस आप के आशीर्वाद के लिए ही है !
हे भगवन !
बहुत ही प्यारा वरदान दिया है........
अनु



Wednesday, February 4, 2009

Evenings

Evening lasts forever
it simply gives me lonliness
sadness a way.
More and more the darkness grow
makes the mood heavy and sunlight goes.
If you were here , we were together
Then the darkness would still be there
with different mood.
But your words would not enlighten the evening.
Our parting is just unbearable for me.
Coz evening lasts forever.....
Anu.

न जाने क्यों

naa जाने क्यों

सुलझा नही सके हम

वो जो छोटी ही उलझाने थी

वो जो बस छोटी सी ही आशाएं थी

बहुत ही कम चाहतें थी

मैं तुम्हें पा कर और

तुम मुझे पा कर कितने खुश थे

चाहे छोटी ही राहतें थी

umeedein भी छोटी ही थी

और पंख फैलाने के लिए aasmaan भी कम thaa

फ़िर भी न जाने क्यों ......

अनु

अचानक

अचानक कहीं से एक

तूफ़ान सा आ जाता है

जो मेरे मन को

मेरे शरीर से अलग कर देता है

मैं तिनके को सहारा समझ उसी के साथ हो लेती हूँ

लेकिन तूफ़ान के बहाव में

वो भी tईव्र्ता से आगे बढ जाता है

और मुझे बेसहारा छोड़ जाता है

गहराई में डूबने के लिए

ज़िन्दगी से झूझने के लिए

ख़ुद से ही लड़ने के लिए

अपने अस्तित्व को बचाए रखने के लिए

अचानक कहीं से एक ....

अनु



Tuesday, January 27, 2009

कोशिश करना


मेरे अन्दर जो उठ रहा है तूफ़ान कभी उस से झूझने की कोशिश करना
मेरे दिल पर पडा है जो बोझ कभी उसे हल्का करने की कोशिश करना
मेरी ज़िन्दगी में जो खालीपन है कभी उसे भरने की कोशिश करना
मेरे अंदर की बेचैनियिओं को कभी महसूस करने की कोशिश करना
मेरी चाहतों का असर क्यों हो रहा कम कभी जानने की कोशिश करना
मेरे आँगन अब धुप क्यों निकलती है कम कभी छाओं में साथ देने की कोशिश करना
मेरे पैर अब क्यों जलने लगे है घास पर भी कभी हमसफर बनने की कोशिश करना


अनु

Sunday, January 25, 2009

किरदार


तुम ने जो दर्द दिए ,उन पर भी प्यार ही आया
कुछ इस तरह से हमनें , अपना किरदार निभाया
चाह कर भी तुम से गिला न कर सके हम
सोचा बेशक दर्द देने के ही सही , तुम्हें हमारा ख्याल तो आया
अनु

तुम

यहाँ तुम वहाँ तुम
इधर तुम उधर तुम
जहाँ देखूं बस तुम ही तुम
गलियिओं में तुम
सडकों पर तुम
रास्तों में तुम
मेरी सोच में तुम
मेरी विचार में तुम
मेरी हर साँस में तुम
जहाँ भी जाती हूँ
मुझ से पहले
पहुच जाते हो तुम
फ़िर भी न जाने कहाँ
गुम् जाते हो तुम
मेरी उदासियिओं में तुम
मेरी खामोशियिओं में तुम
मेरी परेशानियिओं में tum
मेरी खुशियिओं में तुम
मेरा जूनून हो तुम
मेरी ज़िन्दगी हो तुम।
अनु।

Friday, January 9, 2009

यू ही

यू ही बिन मतलब
सड़कों पर चलना
कितना मुश्किल लगता है
न कोई मंजिल न कोई ठिकाना
नही मालूम होता जब कहाँ है जाना
तो बिन मतलब
बन वजह सड़कों पर यू ही चलना
कितना मुश्किल लगता है
न रास्ता ख़तम होता है न
न ही कोई हमसफ़र साथ होता है
बस अकेले ही चलते जाना होता है
दिशा हीन होना कितना व्यर्थ लगता है
तब जब यू ही बिन मतलब न जाने किस तलाश में
मन भटकता होता है
यू ही सड़कों पर चलना.....
अनु

आज कहीं पदा


हर खुशी में कुछ कमी रह जायेगी
आँखें थोडी शबनमी रह जायेंगी
ज़िन्दगी को आप कितना ही स्वारिये
बिन हमारे कोई न कोई कमी तो रह ही जायेगी......

Monday, January 5, 2009

रिश्ते

हमारी ज़िन्दगी रिश्तों पर ही क्यों निर्भर रहती है
जब की
मैंने हमेशा ही रिश्तों को
टूटते , बिखरते , रोते , सिसकते ही पाया ।
दिल हमेशा इन के दर्द से दुखी पाया
दिल को हमेशा इन के हाथों ही टूटते पाया
हमारे अपने रिश्तों को अपनों की
बाहों में ही दम तोड़ते पाया ।
प्यार की छाओ में पलते हैं जो
न जाने किस धुप में उन्हें झुलसते पाया
कुछ को शक की तो कुछ नफरत की भेट चदते पाया
कुछ को नज़्दिकियिओं की तो कुछ को दूरियों की
भेट चदते पाया ।
शायद हर रिश्ता अपना वक्त लिखा कर आता है
इतिहास में देखा तो बस इतना ही समझ आया।
फ़िर भी मैंने
रिश्तों को......
अनु