Saturday, September 8, 2012

आरज़ू पूरी हो तेरी
इसी जुस्तजू में हम भटकते रहे 
तुम आंसू बहाते रहे  लेकिन 
उनमें बहते तो हम ही रहे
अनु 

Friday, September 7, 2012

बहुत कुछ कहना चाहती हूँ
लेकिन कह नहीं पाती हूँ
बहुत कुछ तुम से सुनना चाहती हूँ
लेकिन समझ नहीं पाती हूँ
बहुत कुछ तुम्हें बताना चाहती हूँ 
लेकिन बाँट नहीं पाती हूँ
बहुत जरुरत है मुझे तुम्हारी जानती हूँ मैं 
लेकिन तुम्हें समझा नहीं पाती हूँ

अनु