Wednesday, November 12, 2008

सपने


तन्हाईओं में अपने हैं जो
कुछ टूटे कुछ बिखरे हैं वो
तेरी मेरी आखों के सपने हैं जो
कुछ गैर तो कुछ अपने हैं वो
रातों को साथ साथ चलते हैं जो
यादों के छोट्टे छोटे साए हैं वो
मेरे साथ तेरे साथ चल के आए हैं जो
तन्हाईओं में अपने हैं जो
कुछ टूटे तो कुछ बिखरे हैं वो......

अनु।