Sunday, November 16, 2008
रास्ते
सोये हैं रास्ते
महसूस होता है कि
मंजिल पाने कि उम्मीद में
थक हार कर बैठ गए हैं
थम गए हैं
रुक गए है
मुसाफिर तो इन पर चल कर
मंजिल पा लेते हैं
लेकिन रास्तों का क्या
जो सब दर्द अकेले सहते हैं
कितने लाचार हैं
न आंसू बहा सकते हैं
न अपना दर्द किसी से बाँट सकते हैं
शायद इसी लिए आज रास्ते
सोये हैं
महसूस होता है.........
अनु.
प्रयास
प्रयास
सुबह होती हैएक नए दिन की नई शुरुआत होती है
दिन भर की जदोजहद में ख़ुद को
जिंदा रखने की कोशिश करती हूँ
सामन्य होने का प्रयास करती हूँ
लकिन शाम होते ही वो प्रयास दम तोड़ देता है
रात के अंधियारे में जब तारों की छाओं होती है
चाँद की चाँदनी अपने होने का अहसास कराती है
तो अचानक से ही मेरी गालों पर पानी की बूँदें आ गिरती हैं
चाँद तो अपना सफर तय कर लेता है
कहने को तो वक्त भी गुज़र जाता है
बस इक मैं ही बीते दिन की कहानी बन कर रह जाती हूँ
फ़िर भी न तो धरकन बंद होती है न साँसे रूकती हैं ..................
सुबह होती है
एक नए दिन की नई शुरुआत होती है.......
अनु
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