जब उदासी से घिर जाती हूँ
तो मन होता है
किसी का साथ पाने को
जिस के कांधे पर सर रख कर
अपने आंसुओं की
बूँदें बहा सकूं !
दिल करता है
अपने मन के अंदर की सारी परतें खोलने को
अपने सारे गम पलकों पे सजाने को
सब कुछ तो कर लूँ
पर मैं वो साथ कहाँ से लाऊं
जो मेरे लिए हो
जो भी मिला वो किसी और का साथी है
उस
का सानिध्य किसी और के लिए है
फ़िर भी ऐसे में
जब भी उदासी से घिर जाती हूँ........
अनु