Tuesday, December 30, 2008

ज़िन्दगी


ज़िन्दगी कभी भी आसान नही होती है
शायद हमें निखारने के लिए मुश्किल होती है
क्यो की बिना गम के भी क्या कहीं
खुशी होती है
जिन्हें हम रूकावटे समझते हैं असल में
वो हमारी काबलियत की पहचान होती है।
उम्मीद के रंग भरने की कोशिश में
यह और बेरंग हो जाती है
ऐसा हम सोचते हैं
लेकिन समझ नही पाते कि
यह तो हमारा शत प्रतिशत हम से मांगती है
और हम हैं कि इस से ही शिकायत करते हैं
शायद हम अपना शत प्रतिशत में असफल रहते हैं
इसी लिए सोचते हैं कि
ज़िन्दगी कभी भी आसान नही होती है.......
अनु

Monday, December 15, 2008

हक है मुझे

उड़ो तुम जरा बस उड़ने की कोशिश तो करो
पंख तुम्हरे मैं काटूँगा
क्यों कि हक है है मुझे
हसो तो सही तुम
मैं तुम्हें खून के आंसू रुलानुगा
क्यो कि हक है मुझे
तुम नदी सी बहने कि कोशिश तो करो
बाँध तुम पर मैं बनाऊंगा
क्यो कि हक है मुझे
जरा सी भी चंचला करो
तुम पर चपला बन कर मैं बरसूँगा
क्यो कि हक है मुझे
मैंने पुछा किस ने दिया यह हक तुम्हें
तो जवाब ख़ुद से ही मिल गया
कि मेरे कई रूप हैं
पिता हूँ भाई हूँ पति हूँ दोस्त हूँ बेटा हूँ
और तुम
तुम तो अबला हो नारी हो
इस लिए यह हक है मुझे....
अनु

Tuesday, December 9, 2008

इच्छा


तुम आसमान हो
और
मैं तुम्हें पाने की
इच्छा रखती हूँ ।
मैं तुम्हें भी पाना चाहती हूँ
और अपने पाँव के नीचे की
धरती भी नही छोड़ना चाहती हूँ ।
तुम अपनी ऊंचाई से मजबूर
और मैं अपनी लाचारी से लाचार
तुम्हें मन की आंखों से निहारा करती हूँ
ज़िन्दगी से रोज़ न जाने कितने
समझौते करती हूँ
ख़ुद को किसी तरह जिंदा रखने की
नाकाम कोशिश करती हूँ
जिंदा रहना एक मजबूरी है
और ज़िन्दगी जीना एक सुखद
एहसास हैं
मैं तो बस मजबूरी से गुजरती हूँ ।
तुम आसमान हो
और
मैं तुम्हें......
अनु

Thursday, December 4, 2008

ख्याल

आज उसे एक पल के लिए तो
ख़याल आया होगा
कि आज मेरी उस से कोई
बात न हो पायी है
सोचती हूँ कि शायद
उसे अच्छा लगा होगा
कि आज मैंने
उसे परेशान नही किया
लेकिन कहीं तो मुझे यकीं है
कि उसे भी इन्तजार रहा होगा
उस ने भी अपने दिल को
बहलाया तो होगा
मेरा ख्याल एक पल के लिए ही सही
उसे आया तो होगा
anu.

Tuesday, December 2, 2008

बूँदें

यह जो मेरी आखों के सागर से
बूँदें बह रही हैं
नही जानती उस के लिए हैं या
मेरे अपने लिए हैं
न जाने मुझ से क्या कह रही हैं
बस बह रही हैं
शायद उस के दर्द का असर है
जो मुझ से ब्यान कर रही हैं
और समझा रही हैं
सपनो के पीछे मत भागो
यह तो रात के मोती हैं
सुबह होते ही खो जायेंगे
तू तो व्यर्थ में चिंता कर रही है
यह जो मेरी आंखों सागर से.......
अनु