Saturday, September 8, 2012

आरज़ू पूरी हो तेरी
इसी जुस्तजू में हम भटकते रहे 
तुम आंसू बहाते रहे  लेकिन 
उनमें बहते तो हम ही रहे
अनु 

Friday, September 7, 2012

बहुत कुछ कहना चाहती हूँ
लेकिन कह नहीं पाती हूँ
बहुत कुछ तुम से सुनना चाहती हूँ
लेकिन समझ नहीं पाती हूँ
बहुत कुछ तुम्हें बताना चाहती हूँ 
लेकिन बाँट नहीं पाती हूँ
बहुत जरुरत है मुझे तुम्हारी जानती हूँ मैं 
लेकिन तुम्हें समझा नहीं पाती हूँ

अनु

Wednesday, June 13, 2012

रिश्ता मजबूरी का

अगर फूल का खुशबू से नाता है  मजबूरी का
 तो  हाँ हाँ , तुम मेरी मजबूरी हो !
अगर सूरज का रौशनी से नाता है मजबूरी
का तो हाँ  हाँ , तुम मेरी मजबूरी हो !!
 अगर साँसों का शारीर से नाता है  मजबूरी का
 तो हाँ  हाँ, तुम मेरी मजबूरी हो !!!
 अगर चाँद का चाँदनी से नाता है  मजबूरी का
 तो  हाँ  हाँ , तुम मेरी मजबूरी हो !!!!
 अगर समंदर का गहराईओं से नाता है मजबूरी का
 तो हाँ हाँ, तुम मेरी मजबूरी हो !!!!!!
 अगर आसमान का  उचाइओन से नाता है  मजबूरी का
तो हाँ हाँ, तुम मेरी मजबूरी हो !!!!!!!
 अगर जीवन का मृत्यु से नाता है  मजबूरी का
 तो हाँ  हाँ , तुम मेरी मजबूरी हो !!!!!
 अनु 

Sunday, June 3, 2012

क्या होती बात !

तुम चलते मैं चलती
हम चलते
साथ चलते जज़्बात 
तो फिर क्या होती बात !
तुम रहते मेरे साथ
चाहे वो होती पूर्णिमा की रात 
या फिर  अमावस्या का अन्धकार
बस
तुम चलते मैं चलती
हम चलते 
साथ चलते जज़्बात 
तो फिर क्या होती बात !!
काश ऐसा होता
गाँव कि कोई गली होती 
या होता कोई शहर
या फिर होता गंगा का किनारा
चाहे होता कोई गुरुद्वारा 
या होता फिर ठाकुर जी का द्वारा
बस 
तुम चलते मैं चलती
हम चलते 
साथ चलते जज़्बात 
तो फिर क्या होती बात !!!
तुम तो हो मेरी मंजिल
काश तुम्हारी मंजिल का रास्ता भी 
मुझ तक  ही होता 
तो क्या होती बात ....
तो क्या होती बात..
तुम चलते मैं चलती 
हम चलते 
साथ चलते जज़्बात 
तो फिर क्या होई बात !!!!
अनु .

Sunday, April 22, 2012

ਮੈਨੂ ਯਾਦ ਏ ਅੱਜ ਵੀ 
ਜਿਸ ਦਿਨ ਤੂ ਗਿਆ  ਸੀ ਘਰੋਂ
ਤੇਰਾ ਰਾਹ ਮੁਕਦਾ ਰਿਹਾ 
ਤੇ ਮੇਰਾ ਰੋਨਾ ਵਾਧ੍ਧਾ ਗਿਆ  
ਤੂ ਆਪਣੀ ਮੰਜਿਲ ਤੇ ਪੁੱਜ ਗਿਆ
ਤੇ ਮੈਂ ਆਪਣੀ ਹੀ ਧੁਰੀ ਤੇ  ਖੜੀ ਰਹ ਗਈ 
ਕਿਨ੍ਨਿਯਾਂ ਹੀ ਅਨ੍ਕੇਹਿਯੀਆਂ ਗੱਲਾਂ ਮੇਰੇ ਦਿਲ ਵਿਚ ਰਹ ਗਾਯਿਆਂ
ਮੇਰੇ ਤੋਂ ਸਬ ਛੁਟਦੇ ਗਏ 
ਤੇ ਤੈਨੂ ਨਵੇਂ ਸਾਥ ਮਿਲਦੇ ਗਏ
ਮੇਰਾ ਪਿਆਰ ਤੇਰੇ ਲਈ ਗੇਹਰਾ ਹੁੰਦਾ ਗਯਾ 
ਤੇ ਤੂ ਅਪਨਾਪਨ ਲੋਕਾਂ ਨਾਲ ਵੰਡਦਾ ਰਿਹਾ
ਇਹ ਸਿਲਸਿਲਾ ਬੱਸ ਜੋ ਸ਼ੁਰੂ ਹੋਯਾ 
ਅੱਜ ਤਕ ਚਲਦਾ ਆ ਰਿਹਾ 
ਮੈਂ ਤੇਰੇ ਲਈ ਕੁਰਬਾਨ ਹੁੰਦੀ ਰਹੀ 
ਤੇ ਤੂ ਇਸ ਦਾ ਆਨੰਦ ਮੰਦਾ ਰਿਹਾ.....
ਮੈਨੂ ਯਾਦ ਏ ਅੱਜ ਵੀ .....
ਅਨੂ


Friday, March 9, 2012

मैं तुम्हें याद करती हूँ

जब सुबह होती है 
मंदिर की घंटियों कि आवाज़ सुनाई देती है
मैं तुम्हें याद करती हूँ.
जब सूरज धीरे धीरे अन्धकार को मिटाता है 
मैं तुम्हें याद करती हूँ.
जब स्वर्ण सी धुप खिलती है 
मैं तुम्हें याद करती हूँ.
फिर दिन जब रंग बदलता है 
मैं तुम्हें याद करती हूँ.
जब बादल घुमर कर आते हैं और
अपने आंसू बरसाते हैं 
मैं तुम्हें याद करती हूँ.
जब हवाएं चलती हैं 
तुम क्यूँ नहीं हो साथ मेरे पूछती  हैं 
मैं तुम्हें याद करती हूँ.
उन हसीं लम्हों को 
तुम्हारी आवाज़ को
तुम्हारे साथ को
तुम्हारे सुन्दर चेहरे को
तुम्हारी बोलती आँखों को 
मैं याद करती हूँ.
तुम्हारा चलना 
आँखें बंद कर के जागना 
मुझे पास न पा कर रोना
मैं याद करती हूँ.
तुम्हारा घर से जाना और 
सदियों तक लौट कर न आना
मैं याद करती हूँ.
पूर्णिमा की रात 
जब हम थे साथ 
मैं याद करती हूँ.
हर पल ,हर लम्हा 
मैं तुम्हें याद करती हूँ.
अनु