Tuesday, December 2, 2008

बूँदें

यह जो मेरी आखों के सागर से
बूँदें बह रही हैं
नही जानती उस के लिए हैं या
मेरे अपने लिए हैं
न जाने मुझ से क्या कह रही हैं
बस बह रही हैं
शायद उस के दर्द का असर है
जो मुझ से ब्यान कर रही हैं
और समझा रही हैं
सपनो के पीछे मत भागो
यह तो रात के मोती हैं
सुबह होते ही खो जायेंगे
तू तो व्यर्थ में चिंता कर रही है
यह जो मेरी आंखों सागर से.......
अनु