Thursday, October 29, 2009

भीगी सी आंखों में भीगा हुआ दर्द है तुम्हारा!
चाहा था ज़िन्दगी में बस इक साथ ही तो तुम्हारा!!
रुकी थी मोड़ पर इन्तजार किया था मैंने तुम्हारा!
लेकिन ठहराव शायद स्व्भाव नही था तुम्हारा!!
अनु

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