Wednesday, December 9, 2009

जब तुम नही होते हो

चाय की चुस्कियिआन कहीं खू जाती हैं
जब तुम नही होते हो ।
ज़िन्दगी की रंगीनियाँ फीकी पड़ जाती हैं
जब तुम नही होते हो !
ये फूल , ये कलियाँ मुरझा जाती हैं
जब तुम नही होते हो !
शाम का धुंधलका हो जाता है और भी गहरा
जब तुम नही होते हो !
सुबह की ताजगी भी दिल को उदास कर जाती है
जब तुम नही होते हो !
सर्दियों की धुप भी लगती है चटक
जब तुम नही होते हो !
तुम्हारी यादें सहारा तो बन जाती हैं
लेकिन हर बार ये रुला जाती हैं
जब तुम नही होते हो !
अनु।

3 comments:

Unknown said...

tumahri yaad mujko raat bhar sone nahi deti
kabhi hansne nahi deti, kabhi rone nahi deti.
kuch yehi bhav hain apki rachna men, badhai.

डा श्याम गुप्त said...

बहुत खूब कहा,

’जो तुम हो तो हम हैं, सारा जहां है।
हमी से तो तुम हो सारा जहां है। ’

Unknown said...

Really madam you are superb.....

Axay