Thursday, November 13, 2008

शाम

गर्मिओं की शाम में
मुझे सब याद है
आप को याद हो न हो
क्या पाया क्या खोया
आप को ख्याल हो न हो
मुझे सब एहसास है
न कोई कसमें खायी
न कोई वाडे किए
बस आधी रात के बाद
अपने अपने रास्ते चल दिए
बहुत ही मधुर यादें साथ लिए
हम आप से अलग हुए
आप को एहसास हो न हो
गर्मिओं की शाम में
मुझे सब याद है
आप को याद हो हो

अनु

तुम्हारी अनुपस्थति में




वही रास्ते हैं
लकिन कुछ लंबे हो गए हैं
तुम्हारी अनुप्स्थति में .
वही मंजिलें हैं
लेकिन कुछ दूर हो गई हैं
तुम्हारी अनुप्स्थति में .
वही पौधे हैं
लेकिन अब पेड बन गए हैं
तुम्हारी अनुप्स्थति में .
वही नज़रें हैं
लकिन नजारे बदल गए हैं
तुम्हारी अनुप्स्थति में .
वाही रातें हैं
लेकिन सपने खो गए हैं
तुम्हारी अनुपस्थति में।
वाही मैं हूँ
लकिन मेरे होने के मायने बदल गए हैं
तुम्हारी अनुप्स्थति में .

अनु