naa जाने क्यों
सुलझा नही सके हम
वो जो छोटी ही उलझाने थी
वो जो बस छोटी सी ही आशाएं थी
बहुत ही कम चाहतें थी
मैं तुम्हें पा कर और
तुम मुझे पा कर कितने खुश थे
चाहे छोटी ही राहतें थी
umeedein भी छोटी ही थी
और पंख फैलाने के लिए aasmaan भी कम thaa
फ़िर भी न जाने क्यों ......
अनु
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