Wednesday, February 4, 2009

अचानक

अचानक कहीं से एक

तूफ़ान सा आ जाता है

जो मेरे मन को

मेरे शरीर से अलग कर देता है

मैं तिनके को सहारा समझ उसी के साथ हो लेती हूँ

लेकिन तूफ़ान के बहाव में

वो भी tईव्र्ता से आगे बढ जाता है

और मुझे बेसहारा छोड़ जाता है

गहराई में डूबने के लिए

ज़िन्दगी से झूझने के लिए

ख़ुद से ही लड़ने के लिए

अपने अस्तित्व को बचाए रखने के लिए

अचानक कहीं से एक ....

अनु



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