चाय की चुस्कियिआन कहीं खू जाती हैं
जब तुम नही होते हो ।
ज़िन्दगी की रंगीनियाँ फीकी पड़ जाती हैं
जब तुम नही होते हो !
ये फूल , ये कलियाँ मुरझा जाती हैं
जब तुम नही होते हो !
शाम का धुंधलका हो जाता है और भी गहरा
जब तुम नही होते हो !
सुबह की ताजगी भी दिल को उदास कर जाती है
जब तुम नही होते हो !
सर्दियों की धुप भी लगती है चटक
जब तुम नही होते हो !
तुम्हारी यादें सहारा तो बन जाती हैं
लेकिन हर बार ये रुला जाती हैं
जब तुम नही होते हो !
अनु।
3 comments:
tumahri yaad mujko raat bhar sone nahi deti
kabhi hansne nahi deti, kabhi rone nahi deti.
kuch yehi bhav hain apki rachna men, badhai.
बहुत खूब कहा,
’जो तुम हो तो हम हैं, सारा जहां है।
हमी से तो तुम हो सारा जहां है। ’
Really madam you are superb.....
Axay
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