Sunday, November 16, 2008

रास्ते


सोये हैं रास्ते
महसूस होता है कि
मंजिल पाने कि उम्मीद में
थक हार कर बैठ गए हैं
थम गए हैं
रुक गए है
मुसाफिर तो इन पर चल कर
मंजिल पा लेते हैं
लेकिन रास्तों का क्या
जो सब दर्द अकेले सहते हैं
कितने लाचार हैं
न आंसू बहा सकते हैं
न अपना दर्द किसी से बाँट सकते हैं
शायद इसी लिए आज रास्ते
सोये हैं
महसूस होता है.........

अनु.

2 comments:

रवि रतलामी said...

रास्तों के साथ हमेशा अजीब सा पर्सपेक्टिव चलता है. कुछ के लिए सोए होते हैं हमेशा तो कुछ के लिए सदा चलते...

akkintd said...

as it seems you becoming a gr8 gr8
poit now
so hop for your better future
Jai Shri Krishana