Saturday, November 15, 2008

नींद

आज मैंने गौर किया तो पाया
के नींद कितनी उदास थी
और आखों से कितनी दूर
अपने ही गम में कहीं गुम थी
उस के आईने पर
सपनो का अक्स था
इस लिए मैंने उसे नहीं जगाया
बस हौले से सहलाया और
ख़ुद को बहुत बेचैन पाया
क्यों कि आज मैंने गौर किया तो पाया
कि .........
अनु।

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