Sunday, October 19, 2008

मैं तुम्हें याद करती हूँ

जब सूरज उगता है
स्वरण सी धुप छाती है
जब सूरज ढलता है
चंडी सी चाँदनी बिखरती है
मैं तुम्हें याद करती हूँ
जब समय चलता है
लम्हे भागते है
दिन रंग बदलता है
मैं तुम्हें याद करती हूँ
उन अनजाने पलों को
तुम्हरी बोलती आखों को
मुस्कुराते चेहरे को
तुमाहरी आवाज़ को
तुमाहरे साथ को
मैं याद करती हूँ
तुमहरा आखें बंद क्र क जागना
मुझे पास न पा कर रोना
हमेशा हर पल मैं तुम्हें याद करती हूँ
अनु

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