इतनी लाचारी इतनी बेबस्सी क्यो है
ज़िन्दगी तुम बिन मुश्किल क्यो है
मेरी हर उम्मीद तुम्ही से जुड़ी क्यो है
मेरे दिल की धरकन में साँसे तुम्हरी क्यो है
तुम्हरी खुशबु मेरे रोम रोम में बसी क्यो है
जुदाई तुम्हरी मुस्जे रुलाती क्यो है
यादें तुम्हारी मुझे सताती क्यो है
दिल मेरा तुम बिन इतना बेचैन क्यो है
तुम बिन आख़िर इतनी घुटन क्यो है
अनु
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