जानते हो
दिन चडने के साथ
सूरज भी ताकता है राह तुम्हारी
मेरे साथ साथ
लेकिन तुम हो कि आते ही नही
सूरज भी थक कर शाम को ढल
जाता है
शाम भी मेरी तरह
बुझी बुझी
करती है इंतजार तुम्हारा
लेकिन तुनहो कि आते ही नही
फ़िर तारे आ जाते हैं
मेरा साथ देने के लिए
और तुम्हारा इंतजार करने के लिए
लेकिन तुम फ़िर भी नही आते
चाँद भी मेरी उदासी देख कर
उदास हो जाता है और
अपना सफर तै करता है
लकिन तुम्हारी कोई ख़बर नही
बस कुछ ऐसे ही दिन और रात
कटते रहते हैं
लेकिन तुम आते ही नही!!!!!!!!!!!
अनु.
1 comment:
अपना सफर तै करता है
लकिन तुम्हारी कोई ख़बर नही
बस कुछ ऐसे ही दिन और रात
कटते रहते हैं
लेकिन तुम आते ही नही!!!!!!!!!!!
अनु.
well composed
keep on writing
regards
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