Wednesday, November 12, 2008

सपने


तन्हाईओं में अपने हैं जो
कुछ टूटे कुछ बिखरे हैं वो
तेरी मेरी आखों के सपने हैं जो
कुछ गैर तो कुछ अपने हैं वो
रातों को साथ साथ चलते हैं जो
यादों के छोट्टे छोटे साए हैं वो
मेरे साथ तेरे साथ चल के आए हैं जो
तन्हाईओं में अपने हैं जो
कुछ टूटे तो कुछ बिखरे हैं वो......

अनु।

3 comments:

makrand said...

यादों के छोट्टे छोटे साए हैं वो
मेरे साथ तेरे साथ चल के आए हैं जो
तन्हाईओं में अपने हैं जो
कुछ टूटे तो कुछ बिखरे हैं वो......

bahut sunder rachana v shaboan ka sankalan
regards
do visit my post if have a time

Unknown said...

aap achcha likhte hain magar thoda aashavad ka rang bhi miladenge to aapki kavita jaror jeevanpran bantegi jo aaj ke bojhil mahol mein sukun ka kam karegi.
smehra

Tum said...

Thank you for commenting. mujhe to lgaa thha k koi mera likha padega hi nahi. thanx a lot!!!!!!