तन्हाईओं में अपने हैं जो
कुछ टूटे कुछ बिखरे हैं वो
तेरी मेरी आखों के सपने हैं जो
कुछ गैर तो कुछ अपने हैं वो
रातों को साथ साथ चलते हैं जो
यादों के छोट्टे छोटे साए हैं वो
मेरे साथ तेरे साथ चल के आए हैं जो
तन्हाईओं में अपने हैं जो
कुछ टूटे तो कुछ बिखरे हैं वो......
अनु।
3 comments:
यादों के छोट्टे छोटे साए हैं वो
मेरे साथ तेरे साथ चल के आए हैं जो
तन्हाईओं में अपने हैं जो
कुछ टूटे तो कुछ बिखरे हैं वो......
bahut sunder rachana v shaboan ka sankalan
regards
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aap achcha likhte hain magar thoda aashavad ka rang bhi miladenge to aapki kavita jaror jeevanpran bantegi jo aaj ke bojhil mahol mein sukun ka kam karegi.
smehra
Thank you for commenting. mujhe to lgaa thha k koi mera likha padega hi nahi. thanx a lot!!!!!!
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